Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2023 · 3 min read

■ सामयिक / रिटर्न_गिफ़्ट

#रिटर्न_गिफ़्ट
■ लिए जाओ और दिए जाओ दानवीरों!
★ राज आपका, साम्राज्य आपका
【प्रणय प्रभात】
मैंने बरसों पहले एक ग़ज़ल में एक शेर कुछ यूं कहा था-
“दीन पे क्यूं कर किसी के, में उठाऊं उंगलियां?
बेवफ़ा गर बेवफ़ाई, ना करे तो क्या करे??”
प्रसंगवश अपना यह शेर मुझे आज अनायास ही याद आ गया। साथ ही याद आ गई “बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना”, “घर का पूत कंवारा डोले पाड़ोसी का फेरा”, “नेकी कर दरिया में डाल” जैसी तमाम कहावतें और कुछ किस्से भी। जिन्होंने याद दिलाई बीते साल की दास्तान। सोचा, आपको भी याद दिला दूं।
घोर महामारी के बीच हमारी उदार और आदर्शवादी सरकार ने पड़ोसी को बिना मांगे थोक में वैक्सीन भेजी थी। बदले में ड्रोन, ड्रग्स से लेकर आतंकी, उन्मादी, हथियार, नक़ली नोट और हथियार आज तक आ रहे हैं। बीच-बीच में बिना मांगें घुड़कियाँ और धमकियां भी। शायद बोनस में। वो भी तब जब अगले को बोटी तो दूर रोटी तक के लाले हैं। घर मे दाने न होने के बाद भी अम्मा रोज़ भुनाने जा रही है। मतलब नंगे नहा ही नहीं रहे, निचोड़ भी रहे हैं।
सारी बात का निचोड़ यह है कि हमारे आकां अतीत से कोई सबक़ लेने को राज़ी नहीं। जैसे भी हो बस वाह-वाही होती रहनी चाहिए। फिर चाहे करगिल हो या पुलवामा। पठानकोट हो या कुछ और। क्या फ़र्क़ पड़ता है? फ़ौज में कौन सी नेताओं की औलादें शहीद हो रही हैं। सारा टोटा देश की जनता के लिए है। फिर चाहे कर्मचारियों के पेंशन का अधिकार हो या युवाओं के रोज़गार का हक़। बुजुर्गों को यात्री भाड़े में छूट का मामला हो या बुनियादी समस्याओं के स्थायी समाधान का।
जहां तक पड़ोसी की ढीठता और अकड़ का सवाल है, आप टीव्ही चैनल की डिबेट्स देखिए। हमारे देश के कुछ बेवक़ूफ़ अपने देश में “ऑल इज़ वेल” साबित करने के चक्कर में पड़ोस के दो-चार कुतर्कियों से रोज़ भेजा-भड़क करते हैं। जो आर्थिक नंगेपन के मुद्दे पर बेशर्मी की फटी चादर डाल कर भारत को अपने काम से काम रखने की सलाह देने से नहीं चूकते। हाथ मे कटोरा लेकर दुनिया की दहलीज़ पर गुहार लगाने वाले कश्मीर को लेकर आए दिन नसीहत देते हैं। फिर भी हमारा काम इनके बिना नहीं चलता। मतलब जैसी सरकार, वैसी मीडिया। पता नही इन्हें क्या हासिल होता है दूसरे के घर मे दिन-रात ताक-झांक कर के। शर्म की बात यह है कि इन्हें अपने मुल्क़ के हालात पर तटस्थ होकर बात करने की फुर्सत नहीं। तभी जबरिया हमदर्दी दिखा कर खुले आम जूते खाते हैं मीडियाई मुर्गे। वो भी सुबह-सवेरे।
विडम्बना की बात तो यह है “दानवता की मदद” को “मानवता” ठहराने पर आमादा महापुरुषों ने दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी की नसीहत तक को भुला दिया। तभी जबरन दानवेन्द्र राजा बलि, महादानी कर्ण और भामाशाह बनने का प्रयास जारी है। वो भी “माले-मुफ़्त दिले-बेरहम” के अंदाज़ में। सनक सब कुछ लुटा कर भी होश में न आने की। ताकि रेवड़ियां बंटती रहें और झूठा जय-जयकार होता रहे। चाहे उसके बदले मुल्क़ को कोई भी क़ीमत अदा करनी पड़े। लगे रहो मिशन पर। दिए जाओ तोहफ़े और लिए जाओ “रिटर्न गिफ्टस।” राज आपका, साम्राज्य आप के बाप का। हम कौन…? “ख़ामखां…!!”

★संपादक★
न्यूज़ & व्यूज़
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 182 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
मेरा हाथ
मेरा हाथ
Dr.Priya Soni Khare
जिस घर में---
जिस घर में---
लक्ष्मी सिंह
आहिस्ता उतरते - उतरते,
आहिस्ता उतरते - उतरते,
ओसमणी साहू 'ओश'
पर्यावरण
पर्यावरण
Neeraj Agarwal
तुम
तुम
Tarkeshwari 'sudhi'
जब से देखा है तुमको
जब से देखा है तुमको
Ram Krishan Rastogi
सोच
सोच
Srishty Bansal
🙅NEVER🙅
🙅NEVER🙅
*प्रणय प्रभात*
मुकाबला करना ही जरूरी नहीं......
मुकाबला करना ही जरूरी नहीं......
shabina. Naaz
सुनो, मैं जा रही हूं
सुनो, मैं जा रही हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
क्या सत्य है ?
क्या सत्य है ?
Buddha Prakash
मेरे जिंदगी के मालिक
मेरे जिंदगी के मालिक
Basant Bhagawan Roy
किसी भी रिश्ते में प्रेम और सम्मान है तो लड़ाई हो के भी वो ....
किसी भी रिश्ते में प्रेम और सम्मान है तो लड़ाई हो के भी वो ....
seema sharma
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
श्री राम भजन
श्री राम भजन
Khaimsingh Saini
4392.*पूर्णिका*
4392.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये रब की बनाई हुई नेमतें
ये रब की बनाई हुई नेमतें
Shweta Soni
ଷଡ ରିପୁ
ଷଡ ରିପୁ
Bidyadhar Mantry
*परिचय*
*परिचय*
Pratibha Pandey
अगले बरस जल्दी आना
अगले बरस जल्दी आना
Kavita Chouhan
भोले बाबा की कृप
भोले बाबा की कृप
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो
पूर्वार्थ
बेकसूर तुम हो
बेकसूर तुम हो
SUNIL kumar
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मां ने जब से लिख दिया, जीवन पथ का गीत।
मां ने जब से लिख दिया, जीवन पथ का गीत।
Suryakant Dwivedi
तू याद कर
तू याद कर
Shekhar Chandra Mitra
"आशा-तृष्णा"
Dr. Kishan tandon kranti
गलत चुनाव से
गलत चुनाव से
Dr Manju Saini
Loading...