राह न तकना मेरे भइया
राह न तकना मेरे भइया,
इस बार भी न आ पाऊँगी,
राखी के इस पर्व को मैं,
दिल से सदा निभाऊंगी।।
बसेरा है मेरा दूर देश में,
कैसे समझाऊँ मेरे भाई,
कोरोना का आतंक बढ़ा है,
सबकी जान में आफत आयी,
सुरक्षित रहना तुम भी भइया,
सावधानी मैं भी अपनाऊंगी।
राह न तकना मेरे भइया,
इस बार भी न आ पाऊँगी,
राखी के इस पर्व को मैं,
दिल से सदा निभाऊंगी।।
बचपन की यादों से मैं,
अपना दिल बहलाती हूँ,
संग में हमने जो की थी मस्ती,
उनसें ही खुशियां पा जाती हूँ,
इन प्यारी प्यारी यादों के संग,
त्यौहार की खुशी मनाऊँगी।
राह न तकना मेरे भइया,
इस बार भी न आ पाऊँगी,
राखी के इस पर्व को मैं,
दिल से सदा निभाऊंगी।।
प्यार का धागा भेजा है मैंने,
कलाई पे उसको सजा लेना,
रोली चन्दन का तिलक,
माथे पर अपने लगा लेना,
खुश रहे हमेशा भइया मेरा,
रब को सजदे में सिर झुकाऊँगी।
राह न तकना मेरे भइया,
इस बार भी न आ पाऊँगी,
राखी के इस पर्व को मैं,
दिल से सदा निभाऊंगी।।
By:Dr Swati Gupta