राह तो दिखाइये
आप सभी ज्ञानी जनों के समीक्षार्थ
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राह तो दिखाइये
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बीन रहा कुड़े रोज,
कर रहा भाग्य खोज।
बीगड़े है सब पोज,
आप जान जाइये।।
हर दिन यही काम
करता नही आराम
प्रात दोपहर शाम
राह तो दिखाइये।।
करे श्रम भरपूर
मंजिल दिखती दूर
थकन से होता चूर
उत्योग सुझाइये।
भाग्य दाता एक तूही
कर्म मेरे नेक हैं ही
मूक खड़ा देखता क्यों
भाग्य तो बनाइये।
✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”