‘राह तेरी मेरी’
अलग राह तेरी-मेरी
एक है धूप सुनहरी
दूजी छांह घनेरी
एक है घना कुहासा
दूजी धूप दूधिया
एक है अनंग अनूप
दूजी है बहुरूपिया
एक अनोखी हरी छटा
दूजी मुरझाई लता
इक है मदमाता यौवन
दूजी बहती पवन
इक है गीत मल्हार
दूजी टूटी पतवार
आशा है हों नदी पार
हम तुम एक नौका पे ही सवार…..
⭐-Gn✍