राह तक रहे हैं नयना
आंगन मेरा सूना तुम बिन
अश्रु भरे मेरे नयना
बंधन मुक्त हुआ फिर भी
राह तक रहे हैं नयना
घनघोर अंधेरे पथ पर
यादों के झुरमुट साये मे
फिर से लहरा दो आंचल
गूंजे पायल खनके कंगना
राह तक रहे हैं नयना
विभ्रम पैदा करती राहें
दिग्भ्रमित हो देखें सपना
दिखती हो तुम दूर कहीं
कैसे पहुंचे कुछ तो कहना
राह तक रहे हैं नयना
गहन तिमिर से क्या घबराना
उजला दिन तय सूर्य निकलना
आवाज सुनी उठ बैठ गया
जुड़ते सपने – टूटे बंधना
राह तक रहे हैं नयना
नयनसुरा का चषक निहाल
कंपित अधरों पे प्रणय केली
बाहें फैला लो आलिंगन
दूरी मिटे हो संग रहना
राह तक रहे हैं नयना
मन की रीत निभा लो
चम्पा कनेर खिला लो
तोड़ो बन्धन जग उपवन के
विरह अग्नि मे क्या जलना
राह तक रहे हैं नयना
स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर
प्रकाशित ‘अभ्युदय’