वो एक दौर ..
नज़्म
वो एक दौर था जो गुज़र गया.जहाँ पर क़दम कमज़ोर थे जहाँ मन कोई बेचैन था जहाँ नासमझ थी तितली कोई, वो इक दौर था परेशान सा जो गुज़र गया जो गुज़र गया. जहाँ फूल की ख़्वाहिश लिए कुछ आरजू के रंग भरे दो पंख खोले थे कभी और कल्पनाओं की चमक जब नज़र को बिल्लौरी बना उसे खूबसूरत बना गई वो एक दौर था नाजुक़ भरा जो गुज़र गया जो गुज़र गया.. ये सफ़ेद जिस्म ये सफ़ेद रूह सभी रंगों को हरा गई जो ख़ुदा से इश्क़ सिखा गई जो उसे करीब ला यहाँ ये मुस्कुराहट सजा गई है हर जगह सुकून अब हर उदासियाँ ख़त्म हुई वो दौर जिससे बँधे थे ग़म वो गुज़र गया वो गुज़र गया.
मनीषा जोशी..