राह अब आसाँ नही साहिल के थपेड़ों में
मुक्तक……..
रतजगा करना अब उनकी आदत में है
हमको सताना उनकी फ़ितरत में है
लौट चले हम अब अपनी राह को
अब उनकी चाह में तड़पना मेरी आदत में है
राह अब आसाँ नही साहिल के थपेड़ों में
चुपचाप सफिने का बहना अब उसकी किस्मत में है