राहो में हम अब तुम्हारी क्यों आये/मंदीप
राहो में हम अब तुम्हारी क्यों आये,
बेवजय किसी की याद में आँसू क्यों बहाये।
जले थे जिस के प्यार में हम ,
अब क्यों उस को गले से लगाये।
हम ने की महोबत सच्ची एक ही बार,
फिर क्यों किसी गैर को अपना बनाये।
था जिस पर अपने आप से ज्यादा यकीन,
अब सच्चे प्यार की उम्मीद किस से लगाये।
निकल नही पाया अब तक दिल मेरा,
तुम्हारे सिवा इस दिल को कौन बाये।
मंदीपसाई