राहो-मंज़िल सभी की जुदा देखिये
राहो-मंज़िल सभी की जुदा देखिये
आदमी आदमी से ख़फ़ा देखिये
झांकिए मत गिरेबां हमारा मियाँ
इक दफ़ा आप भी आइना देखिये
इश्क़ की आग से बच सका कौन है
जिसको देखो वही जल रहा देखिए
आइये दोस्तों ढूंढ लाये कहीं
आदमीयत हुई गुमशुदा देखिये
रंग है एक सा ख़ून है एक सा
कौनसी बात में हम जुदा देखिये
सोचकर ही क़दम रखना ‘माही’ के है
इश्क़ का रास्ता खुरदरा देखिये
महेश कुमार कुलदीप ‘माही’
जयपुर, राजस्थान