राहे वफ़ा पर चला कीजियेगा
2212/2122/122
राहे वफ़ा पर चला कीजियेगा
होगा भला जो भला कीजियेगा
दुनियां चले अपने नक़्शे कदम पर
जीने में ऐसी कला कीजियेगा
होठों पे चाहत नफ़रत है दिल में
यारो न ऐसे मिला कीजियेगा
वो ख़ास होकर भी हैं अजनबी से
उनसे भी क्या फ़िर गिला कीजियेगा
आफ़त टलेगी न यूँ सोचने से
फूलों सा हरदम खिला कीजियेगा
मिलती है सोहरत मेहनतकशों को
“योगी”न ऐसे जला कीजियेगा
योगेन्द्र सिंह राजपूत”योगी”