राहे उल्फत के इंतजार कोई करता है,
राहे उल्फत के इंतजार कोई करता है,
ज़रा सुनो ! तुम्हे प्यार कोई करता है,
तुमसे पहले खवाब न था कोई,
अब हर शब तुम्हारा दीदार कोई करता है,
शम्मा जलती थी, महफ़िल सजती थी,
मगर जिक्र न था,
अब हर महफ़िल में ‘साहिब’ शुमार कोई करता है,