राही
ए आसमा जरा सोच के बरसना।।
बड़ी मुद्दत से मिला है ‘राही’ बरसो बाद।
हमारी अहमियत का अंदाजा
तुम क्या लगाओगे ‘राही’।
जब जरुरत पड़े तो ,
दिल का दरवाजा खटखटा लेना।।
परायापन का अहसास इस कदर करा दिया।
अपना घर होकर भी जिंदगी ने ‘राही’ बना दिया।।
रास्ते कठिन थे घर दूर था,
हाथ खाली थे तन चूर था।
ज़िन्दगी ने ऐसा इम्तिहान लिया,
‘राही’ बना दिया जिंदगी के सफ़र में।।