राही
राही (वानवासिका छंद )
इस राही को गले लगाना।
कभी भूल कर मत विसराना।।
य़ह योगी प्रिय धरम सिखाये।
उन्नत जीवन करम बताये।।
इसको निश्चित तुम अपनाना।
नियमित मधु रस सहज पिलाना।।
छोड़ न देना इसे अकेला।
पास रहेगा बनकर चेला।।
हमराही बन सदा रहेगा।
साथ निभाता खड़ा रहेगा।।
मित्र बना य़ह डटा रहेगा।
आगे आगे बढ़ा करेगा।।
राही तेरा अति प्रिय होगा।
कष्ट हरेगा मनसिज होगा।।
इसको साधारण मत जानो।
इस रहस्य को तुम पहचानो।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।