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29 Apr 2024 · 1 min read

राही

शीर्षक – राही
*****
राही तो हम सभी होते हैं।
बस हमराही बहुत कम है
जिंदगी में राही धन चाहते हैं।
राही तो बस राही होते हैं।
न दोस्त न एहसास रखते हैं।
हां राही तै सच अजनबी होते हैं।
न तुम न हम बस राही होते हैं।
जीवन में अपने स्वार्थ रखते हैं।
राही तो बस उपयोग करते हैं।
सोच समझ अपनी रखते हैं।
सच कहूं तो राही सब होते हैं।
सात फेरों वाला भी यही होता हैं।
राही तो हम सभी का जीवन होता हैं।
आओ दोस्त राही तो बन जाते हैं।
******************†****
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
105 Views

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