राही तुम रुकना नहीं
राही तुम रुकना नहीं, कैसी भी हो राह।
बिना परिश्रम के न हो, फल पाने की चाह।।
फल पाने की चाह, न हो तेरे मन माही।
जग में हो बस वाह, कभी हो निंदा ना ही।।
मन में हो विश्वास, मिले राहें मन चाही।
चलना है दिन रात, रुको मत क्षणभर राही।।