रास्ते में हों कांटे अगर।
गज़ल
212……212…..212
रास्ते में हों कांटे अगर।
ढूंढ लेना नई इक डगर।
आज खिलते हैं जो देख कल,
सूख कर फूल जाते बिखर।
जब दवा काम आती नहीं,
सिर्फ करती दुआ है असर।
आ के खुद जाने जां देख ले,
कैसी है तेरे बिन रह गुज़र।
किस तरह कट रही तू बता,
जिंदगी तेरे बिन है शिफर।
माना ऊंचा है बनना तुझे,
लाशों पर चढ़ के मत जा उधर।
प्रेम में प्रेमी मीरा बनो,
प्रेम में डूब जाओ अगर।
…….✍️ प्रेमी