रास्ते में जो मिला
जिसको भी हम इस जहां में एक ख़ुदा समझा किए।
उसने ही हमको हजारों जख्म कैसे हैं दिए।।
हमने लुटकर भी किसी के घर सजाये हैं सदा।
और जमाना लूटकर हमको सदा हंसता रहा।।
नफरतों की रेत में अब सारे रिश्ते खो गए।
रास्ते में जो मिला हम तो उसी के हो गए।।
मुझको लगता है मैं सह लूंगा ज़माने के सितम।
आजमाकर देख लो मिट जायेंगे सारे भरम।।
तेरे सारे ग़म मैं अपनी मुस्कुराहट से हरूं।
हर खुशी मैं आज तेरी झोलियों में ही भरूं।।
मेरे अरमां तो सदा मन में मचलते रह गए।
रास्ते में जो मिला हम तो उसी के हो गए।।
आरज़ू है इस जहां को प्यार ही बस प्यार दूं।
अपने हिस्से का सभी कुछ इस जहां पे बार दूं।।
पर ये दिल दुखता है जब कोई इसे छलने लगे।
चोट देकर हाल पूंछे और फिर हंसने लगे।।
प्रेम और खुशियों के सारे ख्वाब अब तो ढह गए।
रास्ते में जो मिला हम तो उसी के हो गए।।
चलो छोड़ो ये शिकवे कौन किससे अब करे।
कर्म जैसा जो करे फल भी तो है वो ही भरे।।
चैन क्यों खोयें क्यों चिंता में हमीं जलते रहें।
इन निगाहों में भी मीठे ख्वाब तो पलते रहें।।
जो भी शिकवे और भरम थे दूर सारे हो गए।
रास्ते में जो मिला हम तो उसी के हो गए।।