रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं
रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं
मुझमे भी सौंदर्य है.. ऊर्जा है ..
ताकत है.. नींव बनने की..
कि मैं रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं..
जिससे बेमकसद खेलते जाना,
ठोकरे मारना नियति हो लोगो की …
मुझे भी चाहत है , कोई तराशे
मुझे..दे ..आकार ..पूजे ..
मैं रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं
मुझमें भी दर्द है,.. मेरी भी प्रतिष्ठा है..
मत देव बना पूजो हमें ,…किंतु
राह किसी के मत डालो मुझे ..
आयेगा मेरा भी दौर …जब लिखूंगी इतिहास मैं…अट्टहास.. करती राहे ..न भटकाती, न हीं रोकती मुझे,
साहस इतना.. कि ठोकर मारने वाले लहूलुहान कर सकती मै..
पर रोकते मेरे संस्कार … धिक्कारती है आत्मा…
और सोचती जब ..यहां सब कुछ दुगुना वापस मिल जाता है, तो क्यों न दर्द ,..को पी..
मै भी स्नेह बांटू ..उनकी
दी चोटों से अपना नवल प्रतिमान गढ़ूं..
मैं रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं…