राष्ट्र भाषा हिंदी
राष्ट्र भाषा हिंदी
दोहे
हिंद भाषा सुवासिनी ,हिंदी जिसका नाम।
मधुर वाणी प्रकाशिनी, हिंद देश है धाम।।
मधुरम हृदय सुभाषिनी, भारत राष्ट्र भाष।
हृदय सुख कर लुभाविनी, ध्वज झूले आकाश।।
संस्कृत के दो रूप है, सुरवाणी है नाम।
उत्तर संस्कृत वैदकी ,देव लोक है धाम।।
सब भाषा की जानकी, उत्तर संस्कृत जान।
सब भाषा के जन्म से ,हुआ जगत उत्थान।।
सुरभित वाणी हिंद की, सौरभमय गुणगान।
संस्कृत में सब काज के, मिला इसे सम्मान।।
कुण्डलिया
सुरभित वाणी हिंद की, सौरभमय गुणगान।
संस्कृत में सब काज के, मिला इसे सम्मान।।
मिला इसे सम्मान,बन विश्व गुरु विख्याता।
प्रेम, मान-सम्मान, का बना जगत प्रदाता।
शीतल सोहे भाव, बात न जाए बखानी।
सुंदर,मधुर प्रभाव, हिंद की सुरभित वाणी।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश