राष्ट्र ध्वज
राष्ट्र ध्वज फहरा रहा मां भारती के प्रांगण में
मना रहे आजादी का वर्षगांठ ,अवनी के आंगन में
स्वतंत्र हुआ था भारत अंग्रेजों के कुशासन से
पंद्रह अगस्त का शुभ दिन,हटा दिए गए सिंहासन से
आहत थीं मां भारती परतंत्रता के नित्य आघातों से
पराधीनता में घुटती थीं सांसे नित्य जघन्य प्रहारों से
थे त्रस्त,अंग्रेजों से,भारत के जन जन अपने ही देश में
पनप रहा था बीज क्रांति का ,क्रांतिवीरों के स्वदेश में
आंदोलन और क्रांति का बिगुल जब वीरों ने फूंका था
देशभक्ति का रुधिर जन गण के रग रग में दौड़ा था
हिलने लगा अत्याचार का नींव ,साम्राज्य अंग्रेजों का
तोड़ने मां भारती की बेड़ी , लहू बहा था वीरों का
देकर अपने शीश की आहुति हुए शहीद, मां के लाल
स्वतंत्रता की अमर गाथा अंकित किए भारत के भाल