“राष्ट्रीय शान मोर”
तारीफ तेरी क्या करू,
उतना हसीन खुदा ने तूजे बनाया ।।
तेरा स्वर भी मधुरता का मोहताज,
वर्षा भी तेरे नाद को सुनकर,
मेध राजा को देतीं है हाथ ताली।
तेरे माथे पे जो ये शोभा है…
किसी ताज से कम नहीं ।।
रंगबेरंगी तेरे पंख हैं… देश की तू राष्ट्रीय शान है ।
खुद मुरलीधर ने भी तुजे अपने शिर की शोभा बनाई।।
तेरा नृत्य देखकर मोहित होती मोरनी दीवानी।
फिर भी.. एक शिकायत प्रभु से है, मोर की हमेश…
जो बयान करता मोर अपनी हर उड़ान के दौर,
क्यों…. ऊँचे आसमान में उड़ नहीं पाते हम।।