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24 Jan 2018 · 1 min read

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर
——————————
घर की शोभा बेटियाँ,दो दो कुल की लाज !
सबको होना चाहिए , इसी बात पर नाज !!

छोड़ रही हर क्षेत्र में , आज बेटियां छाप !
कहने वाले क्यूं कहें, कन्या को अभिशाप !!

क्यों ना उन्नत शीश हो, क्यों ना होवे नाम !
कर जायें जब बेटियाँ,….बेटों वाले काम !!

जिसके आँगन में पड़े, कन्या की पदचाप ।
होगा इस संसार में,भाग्यवान वह बाप ।।

निभें हमेशा वक्त पर, ..सारे रीति – रिवाज ।
आती हो जिस द्वार से, कन्या की आवाज ।।

उत्तरदायी कौन है, …….किसकी है ये भूल।
सिमटी हैं कलियाँ अगर, खिले नहीं हैं फूल।।

होती निष्छल बेटियां,.. जैसे निर्मल नीर ।
लेकर जिनका नाम ही, मिट जाती है पीर ।।
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 6287 Views
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