राष्ट्रीय बालिका दिवस पर
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर
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घर की शोभा बेटियाँ,दो दो कुल की लाज !
सबको होना चाहिए , इसी बात पर नाज !!
छोड़ रही हर क्षेत्र में , आज बेटियां छाप !
कहने वाले क्यूं कहें, कन्या को अभिशाप !!
क्यों ना उन्नत शीश हो, क्यों ना होवे नाम !
कर जायें जब बेटियाँ,….बेटों वाले काम !!
जिसके आँगन में पड़े, कन्या की पदचाप ।
होगा इस संसार में,भाग्यवान वह बाप ।।
निभें हमेशा वक्त पर, ..सारे रीति – रिवाज ।
आती हो जिस द्वार से, कन्या की आवाज ।।
उत्तरदायी कौन है, …….किसकी है ये भूल।
सिमटी हैं कलियाँ अगर, खिले नहीं हैं फूल।।
होती निष्छल बेटियां,.. जैसे निर्मल नीर ।
लेकर जिनका नाम ही, मिट जाती है पीर ।।
रमेश शर्मा.