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29 Dec 2019 · 1 min read

राष्ट्रवाद या देशद्रोह

जला करते थे
जो दीपक
इन हवाओं में

खिलते है जो फूल
इन फिज़ाओं में
दरकिनार है आज

तूफानों की परवाह किसे
इनकी मूल जड़ें
बहुत गहरी है

बुझकर जलना.
जलकर बुझना ..
कोई एक दीपक नहीं.
एक बुझे तो
लाखों खिला करते है

देशभक्ति किसी एक में नहीं,
हर पुष्प उपवन में सुशोभित
#कमल_कीचड़ मे खिला करते है.

Language: Hindi
3 Likes · 213 Views
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