राष्ट्रवाद या देशद्रोह
जला करते थे
जो दीपक
इन हवाओं में
खिलते है जो फूल
इन फिज़ाओं में
दरकिनार है आज
तूफानों की परवाह किसे
इनकी मूल जड़ें
बहुत गहरी है
बुझकर जलना.
जलकर बुझना ..
कोई एक दीपक नहीं.
एक बुझे तो
लाखों खिला करते है
देशभक्ति किसी एक में नहीं,
हर पुष्प उपवन में सुशोभित
#कमल_कीचड़ मे खिला करते है.