राष्ट्रकवि दिनकर दोहा एकादशी
हो दिनकर जी राष्ट्रकवि, स्वीकार हो प्रणाम
राष्ट्र काव्य को आपने, दिया नया आयाम // 1. //
चिन्तन शाब्दिक अर्थ से, मथकर निकले राम
इस पुण्य फल निसर्ग में, साहित्य चार धाम // 2. //
जन्म अश्विन त्रियोदशी, स. उन्नीस सौ आठ
है ‘दिनकर’ विख्यात कवि, गाँव सिमरिया घाट // 3. //
नेहरू के ख़िलाफ़ भी, बुलन्द की आवाज़
देखन में है देवता, ग़लत मगर परवाज़ // 4. //
हार गए हो चीन से, सन बासठ का युद्ध
त्याग सिंहासन नेहरू, बन सन्यासी बुद्ध // 5. //
हिन्दी ने पैदा किया, अजर-अमर अविराम
कवि ‘भूषण’ के बाद वो, धारी ‘दिनकर’ नाम // 6. //
‘प्रतीक्षा परशुराम’ से, हुए ‘राष्ट्रकवि’ श्रेष्ठ
‘रश्मिरथी’ वा ‘उर्वशी’, काव्य हैं सर्वश्रेष्ठ // 7. //
‘कुरुक्षेत्र’ शान्ति-पर्व का, अद्भुत कवितारूप
दिनकर जी कविराय ने, सुन्दर रचा स्वरूप // 8. //
सर्वेक्षण है भारती, संस्कृति के अध्याय
इस पुस्तक के मूल में, दिनकर का पर्याय // 9. //
राष्ट्रीय प्रगतिवाद के, ‘दिनकर’ जी कविराय
काल आधुनिक आपका, गद्य-पद्य अभिप्राय // 10. //
कवि ‘दिनकर’ निर्वाण वह, तमिलनाडु मद्रास
शोकाकुल हिन्दी जगत, शेष रही स्मृति पास // 11. //
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