रावण
वेद पुराण तंत्र मन्त्र यंत्र एवं राजनीति का महान ज्ञाता महापंडित रावण को मारने के पश्चात भगवान् श्री राम को ब्रह्महत्या निवारण हेतु अश्वमेघ यज्ञ करना पड़ा , वृत्तासुर को मरने के पश्चात इंद्र को कमलनाल में छिपना पड़ा देवसिंहासन पर सूर्यवंशीय राजा नहुष देवेंद्र बनें – अधर्म अनीति के कारण रावण का पतन हुआ l रावण ब्राह्मण था किसी का दाह संस्कार एक बार होता है आखिर हम कब तक रावण का दाहसंस्कार देखते रहेंगें , हम अपने अंदर के रावण को रोज जन्म दे रहें हैं आज न जानें कितनी सीता , द्रोपदी कलि प्रधान रावण की अन्तर्वासना ,दम्भ अहंकार , दौलत की बलिवेदी पर निरीह आहुति दे रहीं हैं हम किंकर्तव्यविमूढ़ समय की विभीषिका के मौन साक्षी बनते जा रहे है क्या हमारे अंदर की संवेदनाएं मृतप्राय होती जा रही हैं क्या हम वसुधैव कुटुम्बकम् की धारणा या संस्कृति को भूलते जा रहें है अगर ऐसी वृहद् सुरसामयी स्थिति बनी रही तो हमारी संस्कृति एवं पाश्चात्य संस्कृति में कितना अंतर रहेगा —— विद्वत जनों के विचार का पटल पर स्वागत है —————
राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी