Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2016 · 1 min read

रावण

हर वर्ष जलाते है रावण
फिर भी जिन्दा है रावण
वो तो केवल एक रावण
आज कल तो है अनगिनत
छदम वेष आज में घूमता है
जन -जन का त्रास करता है

नई सुरक्षित है आधुनिक सीता
भाती नहीं है रावण को गीता
उपदेश उसको देना है बेकार
समझाना है उसको तिरस्कार
नहीं आज सीते के पास कोई
हैं सुरक्षित अभेदी लक्ष्मण रेखा

आज जरूरत नहीं रावण को
कोई छदम वेष रखने की
वो तो दम्भ भर करता है हरण
चलती फिरती सीता का
न ही भय उसको लोक लज्जा का
क्योंकि वह है पापी निर्भर

वो रावन फिर भी अच्छा
मर्यादा सदाचार में बँधा
नहीं रखा उसने सीते को महल में
ठहराया उसे अशोक वाटिका में
वो केवल जाता था मिलने
आन मान का रखता था ध्यान
आज सरेआम रावन करता
चीर हरण किसी सीता का
कैसी है यह मानवता की गरिमा
नहीं डरता है वो अनुशासन से
रोज तरूणियों से लूटपाट
करना ही है उसके काम
ऐसे ही रावण रहा सक्रिय धरा पर
वो दिन दूर नही होगा जब
जब सीते रखेगी रणचण्डी रूप
रावण होगा नतमस्तक भैरों सदृश
सीते हो सावित्री हो या अनुसूया
मान सम्मान है सबको प्यारा

Language: Hindi
71 Likes · 622 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
गोरे काले वर्ण पर,
गोरे काले वर्ण पर,
sushil sarna
किसी को गुणवान संक्सकर नही चाहिए रिश्ते में अब रिश्ते
किसी को गुणवान संक्सकर नही चाहिए रिश्ते में अब रिश्ते
पूर्वार्थ
तथाकथित...
तथाकथित...
TAMANNA BILASPURI
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
gurudeenverma198
अति भाग्यशाली थी आप यशोदा मैया
अति भाग्यशाली थी आप यशोदा मैया
Seema gupta,Alwar
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
शत्रू
शत्रू
Otteri Selvakumar
कविता
कविता
Shiva Awasthi
रज चरण की ही बहुत है राजयोगी मत बनाओ।
रज चरण की ही बहुत है राजयोगी मत बनाओ।
*प्रणय*
मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
Ravi Betulwala
சூழ்நிலை சிந்தனை
சூழ்நிலை சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
Rajesh vyas
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बेइंतहा सब्र बक्शा है
बेइंतहा सब्र बक्शा है
Dheerja Sharma
अपने माथे पर थोड़ा सा सिकन रखना दोस्तों,
अपने माथे पर थोड़ा सा सिकन रखना दोस्तों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यादों में
यादों में
Shweta Soni
बड़े ही फक्र से बनाया है
बड़े ही फक्र से बनाया है
VINOD CHAUHAN
जीव-जगत आधार...
जीव-जगत आधार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
2718.*पूर्णिका*
2718.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्ति
मुक्ति
Amrita Shukla
आएंगे तो मोदी ही
आएंगे तो मोदी ही
Sanjay ' शून्य'
मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
Phool gufran
Enchanting Bond
Enchanting Bond
Vedha Singh
Loading...