रावण हारा (बाल कविता)
रावण हारा (बाल कविता)
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सोने की लंका के मालिक
बलशाली को मारा ,
महा – घमंडी रावण रण में
रामचंद्र से हारा ।
मेघनाथ को लक्ष्मण जी ने
रण में धूल चटाई ,
कुंभकरण भी हुआ पराजित
हारी सभी लड़ाई ।
जड़ में था अपराध यही
रावण ने सिया चुराई,
हे जटायु ! तुम धन्य
युद्ध में तुम ने जान गँवाई ।
धन्य – धन्य हनुमान !
सिया का तुमने पता लगाया ,
धन्य – धन्य नल नील !
सेतु सागर पर खूब बनाया ।
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451