वह तो विजय है सदैव
रावण – सा ज्ञानी
बुराई नष्ट करने
हुए आज इक्कट्ठा हैं
पुतला दहन के बहाने
ज्ञानी की कर रहे हत्या हैं।।
किन अधिकारों से
मनाते विजयादशमी
ना मरता कभी रावण
वह तो सदैव विजयी हैं।।
ज़रा झांको खुद में
ना कोई राम रहा जिंदा हैं
हम करते दहन तुम्हें
लेकिन तू ही शर्मिंदा हैं।।
राम सी खूबियां
कभी ना मुझमें आएगा
रावण सा ज्ञानी
ना मर्यादा आ पाएगा।।
जाते जाते भी शिक्षा
तू शत्रु को दे गया
शीश झुका प्रणाम
तुझे तो राम भी कर गया।।
अर्जुन भास्कर
arjunbhaskar511@gmail.com