रावण रूपी करोना
य़े रावन रूपी कोरोना जब तुम
हमारे देश आ ही गए हो तो ,
हम तुमसे नजरें चुरा सकते नहीं…
हाथ जोड़कर करते हैं तुम्हारा स्वागत,
पर हम हाथ मिला सकते नहीं…
तेरे आने से मेरे देश में मायूसी सी छायी है ,
जैसे एक आँधी काली घटा घेर लायी है….
कोरोना देश मे आकर तूने ज़ो नजरें गड़ा दी हैं,
यहाँ तो पहले से ही थी लोगों में नजदीकियां बहुत कम,
तूने तो आकर दूरियां और बढ़ा दी हैं…
डरने लगा है इंसान ,इंसान को गले लगाने और
हाथ मिलाने से..
जो जहाँ हैं वहीं रुक गया है ,ना कोई कहीं आ रहा है
और ना जा रहा है …
तेरी वजह से हर इंसान परेशां हो रहा है…
कितनों की ज़िन्दगी छीन ली है तूने,
कितनों के घर ऊजाड़ दिये हैं तूने….
चहल -पहल रहती थी जहाँ चारो ओर
सब ठिकाने तेरे कहर से हो गयें हैं सूने – सूने..
सून ले कोरोना भी हम नहीं ड़रेंगे तुमसे
निपटने का तुझसे हर संभव प्रयास ज़ारी है
तुमने तो फैला लिया अपना कहर,अब निपटने
की आयी तुम्हारी बारी है..
डाक्टर,पुलिस व सफाईकर्मी की मेहनत से ,
देश का हर नागरिक बेफिकर हो जायेगा..
सबकी मेहनत ,समर्पण और ज़ज्बे को दिल से
सलाम करती हूँ …
हे ईश्वर इस दुख की घड़ी से बचा दुनिया को ,
जैसे निवारण करता है कष्टों का ,
वैसे ही निपटा दे इस महामारी को…
हर नागरिक की प्रतिरक्षा की शक्ति बढ़ा देना तू ,
इस रावन रूपी वायरस को ज़ड़ से मिटा देना तू..
मौलिक
आभा सिंह
लखनऊ
उत्तर प्रदेश