रावण मरा नही करते……..
*************** रावण दहन क्यूं ….?
??क्रान्तिकारी कविता ??
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***** सच मरा नही करता ****
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बहन की रक्षा हेतू , जिसने तलवार उठाई थी
लाश देखकर दुश्मन की भी, छाती थर थर थर्रायी थी
ग्यानी था वो , नही घमंडी , वो पहला वैग्यानिक था
प्रकृति का रक्षक था वो , तनिक नही अभिमानी था
दुश्मन की पत्नि भी जिसनें , सुरक्षा घेरे में राखी
रोज पूछता हाल चाल , नीयत में खोट नही राखी
फिर भी “रावण” को जानें क्यूं , इतना ज्यादा बदनाम किया
मुझे बताओ उस यौद्धा ने , कौन सा ऐसा पाप किया
रोज लूटता था जो जवानी, मंदिरा की मदहोशी में
सोते . जगते जो रहता था, कामुकता बेहोशी में
भगवान बताया फिर भी इन्द्र , जो पहला बलात्कारी था
घमण्ड , क्रोध, कामुकता का, जो पक्का भण्डारी था
” पर रावण ही गलत बताया,जाता क्यूं हर बार ?
इन्द्र से भी बुरा था क्या वो, जो जलता बार बार ?
मै रावण को सच कहता हूँ, जो आता हर बार
नही मरेगा सच कभी भी, करते रहो संहार”
ना रावण ने हिरन मारा , ना काटे नाक _ कान
दुर्लभ पर ना कभी उठाये , अपने तीर _कमान
ना भाई से भाई लडाया , ना पत्नि प्रताडित की
झूठें आशवासन देनें की , उसकी नही ये आदत थी
मानव हित में ली प्रतिग्या, कितनी रावण बल धारी ने
फिर भी उसको कहा राक्षस, झूठें तिलकधारी ने
बाप से पहले बेटे को , कभी नही मरनें दूंगा
पानी की सतह पर कायी की , पर्त नही चढनें दूंगा
स्वर्ग पर सीढी लग जायेगी , मरनें से पहले देखो
सारे देवता घर में नौकर , ना जानें तुम आ देखो
धोका छल कपट का सहारा , ले रावण को मारा था
मरते मरते भी वो यौद्धा , कब दुश्मन से हारा था
झूठ और अन्याय के खातिर , जो ना कभी झूका करते
“रावण” जैसे यौद्धा कभी भी , “सागर” मरा नही करते !!
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बैखोफ शायर/गीतकार/लेखक
****** डाँ. नरेश कुमार “सागर”
रतनाक्रम ……
14/10/18
********** 9897907490
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