Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2021 · 1 min read

रावण को यूँ कुछ मोक्ष मिला।

हर दिन जलती चिता वहां।
मरते जब रावण के सूरमा।।

सारे कुल का हुआ विनाश।
कुछ ना रहा रावण के पास।।

आया रावण रण कौशल में।
हुआ युद्ध फिर नभ थल में।।

दस-दस सिर मायावी रावण।
अट्टहास करता युद्ध के क्षण।।

कोई युक्ति ना सूझे भगवन।
कैसे हो दुष्ट को मृत्यु दर्शन।।

विचलित थे सब उस क्षण में।
किसी को सूझे नाकुछ मनमे।।

विमर्श हुआ कुछ राम विभी में।
बाण भेदा फिर रावण नाभि में।।

जब घर का भेदी लंका ढावे।
तभी विभीषण वह कहलावे।।

रावण को कुछ यूं मोक्ष मिला।
पूर्ण प्रभु का ये वनवास हुआ।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

Language: Hindi
414 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all
Loading...