रावण की ओर से शुभ कामनाएँ दशहरे की
हँसकर रावण बोल रहा है
आज यदि होते श्री राम
कितने रावण मार गिराते ?
इतने तीर कहाँ से लाते ?
आ भी जाते
चल भी जाते
बचता कौन ?
सभी तो है अहं के मारे
सब मारे जाते
कुछ गिने चुने ही बच पाते ।
मुझे जलाने वाले लोगो
मुझ में तुम बहुत फर्क है
मैंने हरण किया सीता का
तुम तो चीर हरण करते हो
कितना बड़ा पाप करते हो
पहले अपना अहं जलाओ
फिर जलाना मुझको
अहं तुम्हारा जल जाए
तुम तदंतर
दीवाली को दीप जलाना ।