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19 Mar 2020 · 2 min read

रावण का इंटरव्यू

– ये बताइए महाराज रावण, आपने माता सीता का हरण क्यों किया था?

रावण- हरण!!! क्या मूर्खों जैसी बातें कर रहे हो? मैने तो सीता को आश्रय दिया था ताकि उनकी वनवास की अवधि आसानी से व्यतीत हो सके।राम को एक लक्ष्य दिया था खुद को मारने का ताकि उन्हें इतना लम्बा वनवास काटने में आसानी हो। आप स्वयं सोचे कि अगर मैने ये सब न किया होता तो राम और लक्ष्मण चौदह वर्षों तक क्या करते?

पत्रकार- मेरे विचार से तो माता सीता भगवान राम के साथ अधिक प्रसन्न होतीं।

रावण- तुम वास्तव में मूर्ख हो। तुम शायद भूल गए हो कि अयोध्या में राम ने सीता के साथ क्या किया? उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि बेचारी को दुनिया छोड़कर जाना पड़ गया। मैं इसके लिए राम की निन्दा करता हूँ।

पत्रकार – मैं नहीं मानता।ये तो राम की लीला थी।

रावण- तुम गधे हो। अबे अगर लीला दिखानी ही थी तो अपनी पत्नी पर विश्वास करके उनके साथ खड़े होने की लीला दिखाते। जिसने सीता को आरोपित करने का दुःसाहस किया उसकी जिह्वा काटने की लीला दिखाते। सीता के चरित्र पर संदेह करके, उन्हें निर्वासित करके संसार को उन्होंने क्या संदेश दिया? राम के चरित्र पर लोगों ने संदेह क्यों नहीं किया? केवल इसलिए कि राम पुरुष थे?

पत्रकार- आपका मतलब है कि भगवान राम ने गलत किया?

रावण -पूर्णतः 100%

पत्रकार – अगर उन्होंने गलत किया तो विधि के विधान के अनुसार उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए थी। मगर ऐसा तो नहीं हुआ।

रावण- अंधे हो क्या? राम को अपनी ही अयोध्या में तंबू में रहते हुए एक युग बीत गया। ये सजा नहीं तो और क्या है?

पत्रकार – महाराज भगवान राम की ये सजा कब पूरी होगी?

रावण- जब राम की ही सोच वाला व्यक्ति सत्तासीन होगा ।

पत्रकार- क्या माता सीता भगवान राम को कभी माफ कर पाएँगी?

रावण- कभी नहीं।

पत्रकार -अच्छा महाराज जाते-जाते ये बताते जाइए कि आप अभी तक मरे क्यों नहीं?

रावण- अमां यार! तुम लोग मुझे मरने ही कहाँ देते हो। तुम्हीं देखो आज दशहरे के दिन मेरे हजारों पुतले बनाए जाएंगे ।मुझे खरीदा जाएगा जलाने के लिए। फिर एक रावण को ही राम का चोला पहनाया जाएगा ।वो मुझ पर बाण चलाएगा।तुम्हीं बताओ,क्या रावण, रावण को मार पाएगा? कभी नहीं। और फिर पुतलों के देश में विभीषण भी तो नहीं होते।

पत्रकार – दशहरे के दिन भारत की जनता को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

रावण- मेरा संदेश यही है कि आप लोग खुशियाँ मनाइए किन्तु खुद को सीता मत बनने दीजिए वरना शासन चाहे राम का हो या रावण का, कष्ट में ही रहोगे। विरोध करना सीखो। आपका अतिप्रिय भी अगर आपके साथ गलत करे तो उसका विरोध करो। अंधभक्ति में सीता की तरह प्रताड़ित होने के अतिरिक्त और कुछ नहीं कर सकते आप लोग।

अच्छा पत्रकार महोदय , अब चलता हूँ। सभी देशवासियों को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Written by #Sanjay_Kaushambi ©®

Language: Hindi
526 Views
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