रावण का आचार्य आमंत्रण शुद्ध गीता छंद
जामवंत द्वारा
रावण का आचार्य आमंत्रण
शुद्ध गीता छंद 27 मात्राएँ
2122,2122,2122,2121
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राम जी का नाम लेके,
लंक पहुँचे जामवंत।
वेषभूषा सादगी ले,
लग रहे ज्यों साधुसंत ।
कौन हो आए कहाँ से,
सब कहो जी काम धाम।
सेवकों को दीन्ह उत्तर,
भेजा मुझको आज राम ।
दास हूँ प्रभु राम का मैं,
है निमंत्रण खास काम।
वेद ज्ञाता, हैं महापंडित
बडे लंकेश नाम।
श्रेष्ठ विप्रों में दशानन,
काज पूजन हेतु याद।
कीजिये सूचित अभी जा,
ताकि शुभ हो वक्त बाद ।
दौड़ के सेवक चले हैं,
दी खबर नृप पास जाय ।
योग्यता अनुसार राजा,
मान राखे प्रीत लाय ।
आप मेरे पितु सरीखे,
है नमन सो रीछ राज
है मुझे स्वीकार न्यौता,
हो सुफल सब धर्म काज।
कामना पूरी तरह से,
पूर्ण होगी ठीक ठीक।
यज्ञ जैसा फल मिलेगा,
शंभु पूजन नीक नीक ।
कार्य में जो भी जरूरी,
वो सभी ले आउँ साथ।
विधि विधानों का रहेगा,
ध्यान खुश हों भूतनाथ।
आप जाकर रामजी को,
कीजिये संदेश पेश ।
मैं समय पर सिंधु तट,
आऊँ, करूँ ना लंब लेश।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
29/12/22