राम
राम को राम ही मात्र जीते रहे ।
वेदना का गरल नित्य पीते रहे ।
त्याग वैभव वनों में भी सुख पा लिया –
ताज पाकर सुखों से वो रीते रहे ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
राम को राम ही मात्र जीते रहे ।
वेदना का गरल नित्य पीते रहे ।
त्याग वैभव वनों में भी सुख पा लिया –
ताज पाकर सुखों से वो रीते रहे ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी