राम
राम मिलेंगे सबको गले लगाने से।
राम मिलेंगे शबरी का झूठा खाने से।
राम मिलेंगे पितृ भक्ति और मर्यादा से
जीने में।
राम मिलेंगे भक्ति भावना बजरंगी के सीने में।
पिता की बातें मान लिया और चले गए वनवासो में।
प्रेम मिलेगा राम भक्त को केवट के विश्वासों में।
राम मिले हैं अनुसुइया की मानवता को।
राम मिले सीता माता की पावनता को।
राम मिले ममता माई कौशल्या को।
राम मिले हैं बाट जोहती अहिल्या को।
राम नहीं है बस मंदिर के फेरों में। राम मिलेंगे सबरी श्रद्धा मय बेरो में।
मैं भी अब सौगंध राम की खाता हूं।
हाथों में गंगाजल के कसम उठाता हूं।
आडंबर से दूर रहूंगा आदर्शों से मोल रखूंगा।
राष्ट्र अस्मिता की खातिर सगीर कदम को तोल रखूंगा।
कवि डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी