राम से
ेशर्म की कलम से
हर चमन और हर कली के नाम से,
हैं आज कल कुछ रोज से बदनाम से
प्यार क्या कैसी वफ़ा क्या हसरतें,
चीज सब मिलती हैं अब तो दाम से
दुनियादारी से नहीँ कुछ वास्ता,
काम रखते हैँ बस अपने काम से
जबसे बाबाओं ने बदले हैँ करम,
दूर आशा हो गई है राम से
बेहया वो बेअदब और बेसबब,
हम तो केवल ‘बेशर्म’ हैं नाम से
विजय बेशर्म गाडरवारा 9424750038