राम समाये बिंदु बिंदु
डॉ ० अरुण कुमार शास्त्री एक 💐 अबोध बालक
अरुण अतृप्त
राम समाये बिंदु बिंदु
राम राम करते रहो
राम जगत ये स्वामी
राम राम जपते रहो
राम बसें हिय माही ।।
राम जगत के मूल हैं
राम जगत संसार
कष्ट तनिक न मानिये
जब तन सों निकसे प्राण ।।
राम समाये शब्द शब्द
राम किये सब काज
राम करे से होएं हैं
जग में सबहि काम ।।
अंत काल जब आएगा
जिन घट में होंगे राम
जस क्रिया चौरासी लखि
तेही कष्ट न होवे त्राण ।।
तेरा मेरा क्यों करो
सब कछु राम समाये
एक पल की माया प्रभु
उस पल छूटी जाए ।।