राम वनवास
कवने करनवा हो
भईला बिरनवा हो
पथरो के आवत रोवाई होई पहुना ।।
कहाँ बोला गांव बाटे
गांव के का नाव बाटे
राखि दा धनुहिया थकल होई पहुना ।।
बबूनी सुनरकी हो
धोतिया पुरनकी हो
मघवा में छहवां जड़ात होई पहुना ।।
होइहें घरे बाबू माई
छोट बड़ सग भाई
कईसे उनके खनवा घोंटात होई पहुना ।।
बघवा बघिनिया आ
अमवा डहूनिया आ
सऊं से सिवान घबड़ात होई पहुना ।।
खोंतवा के चिरई हो
तलवा के जरई हो
घरवां के तुलसी झुरात होई पहुना ।।
काठ के करेजवा हो
कवन रंगरेजवा हो
छतिया पे रखले मसान होई पहुना ।।
कवने करनवा हो
भईला बिरनवा हो
पथरो के आवत रोवाई होई पहुना ।।
~ धीरेन्द्र पांचाल