राम लव-कुश मिलन (कविता)
मर्यादाओं का अपना धर्म श्रीराम-सीता निभाते हैं।
मातृ-पितृ कथा मिल दो भाई लव-कुश सुनाते हैं।।
लुटेरे रत्नाकर ने पाई संतन सुनीति
मरा-मरा रट रटकर पाई राम प्रीति
काव्य की धारा को कर श्लोकबद्ध
लिखे चरित्र राम-सिया कविता बद्ध
वाल्मीकि लव-कुश की रामकथा को समझाते हैं।।
वनदेवी की कही बात मानकर
रघुवीर सुत को शिष्य जानकर
शस्त्र शास्त्र की शिक्षा सिखलाते
लव-कुश को स्वाभलंबी बनाते
महर्षि वाल्मीकि भी अपना गुरू धर्म निभाते हैं
युद्ध चुनौती से कर निज अश्व श्रृंगार
अश्वमेध पकड़न आए दो राजकुमार
निज पराक्रम का अद्भुत शौर्य दिखाने
गुरूवाल्मीकि की शिक्षा को आजमाने
निजता से अंजान लव-कुश बाण पर बाण चलाते हैं।
सुनकर निज मातृ की परिभाषा
पितृ मिलन की करके अभिलाषा
संगीत शिक्षा की देने को परीक्षा
अयोध्या समक्ष कराते दोउ समीक्षा
रामकथा बैठ सबको लव-कुश रामद्वारे सुनाते हैं
स्वतंत्र गंगाधर