सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
किस बात की चिंता
Anamika Tiwari 'annpurna '
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
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गीत, मेरे गांव के पनघट पर
आँसू बरसे उस तरफ, इधर शुष्क थे नेत्र।
सावन भादों
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ
जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो...
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
ठहर कर देखता हूँ खुद को जब मैं