राम राज्य
द्वार खुले रह जायें कभी तो ,
न चौरन भीति परै दिखलाई।।
साँझ में देहरी के दीप जलैं ,
तो राह मे राही क दें उजराई।।
मीत के हिय जो हुलास दिखै तो,
विलास मनै अपनी अंगनाई।।
यदि ग्राम में पाहुनी पाँव धरैं ,
तब पूरहि गांँव करै पखराई।।
गाँव का गाँव करै पखराई।।
निज देश कि बेटी दिखै परदेश ,
तो पुत्रि ही मान करैं पहुनाई।।
राम के राज का मोहक रूप ,
जो राम रहीम सहोदर भाई।।
स्तुति मंत्र अजान के संग संग,
ये ही सुराज कि सुन्दरताई।।