राम यानि भारत, भारत यानि राम
भारत की न्याय प्रक्रिया को कोटिशः साधुवाद करती हुई प्रस्तुत हैं स्वरचित कुछ पँक्तियाँ –
भारत यानि राम, राम यानि भारत /
“ये माना कुछ दिलों में कुछ भरम है ।
मग़र है न्याय , सच है औ’ धरम है ।।
अभी भी है ज़गह इंसानियत को,
कृपा रब की , ख़ुदा का भी करम है ।।
सदा जो झूठ पर लड़ते रहेंगे,
बजा उनका कभी डंका नहीं है ।।
अभी भी राम बसते हैं दिलों में,
ये भारत है कोई लंका नहीं है ।।”
——– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।