राम भजन
हरिगीतिका -छंद
सूरत सलोनी श्याम सुंदर, नाथ मेरे राम है।
करुणा भरा कोमल हृदय में, राम का ही धाम है।
श्री राम से खाली यहाँ पर,
कौन- सा स्थान है।
जो जानता उसके बने प्रभु,
और सब अंजान है।
सब पाप ,तम देते मिटा जो, राम का ही नाम है।
सूरत सलोनी श्याम सुंदर, नाथ मेरे राम है।
मैं दास केवल राम का हूँ,
राम ही भगवान हैं।
चाहूँ तुझे, पाऊँ तुझे मैं,
बस यही अरमान है।
सूरत तुम्हारी देख कर ही, हो रहा सब काम है।
सूरत सलोनी श्याम सुंदर, नाथ मेरे राम है।
प्रभु नाम का सुमिरन करें जो,
सब दुखों से पार है।
आशीष जब तेरा मिले तो,
सुख भरा संसार है।
प्रभु राम को जपते रहो सब, कुछ न लगता दाम है।
सूरत सलोनी श्याम सुंदर, नाथ मेरे राम है।
श्री राम-सम कोई नहीं है,
राम ही वरदान हैं।
जिस पर सदा इनकी कृपा हो,
बन गया धनवान है।
पूरा जगत को जो भुला दे, ये वही इक जाम है।
सूरत सलोनी श्याम सुंदर, नाथ मेरे राम है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली