*राम भक्ति नवधा बतलाते (कुछ चौपाइयॉं)*
राम भक्ति नवधा बतलाते (कुछ चौपाइयॉं)
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1
राम भक्ति नवधा बतलाते।
बेर भक्त शबरी के खाते।।
नवधा भक्ति मनुज हितकारी।
नौ प्रकार की यह गुणकारी।।
2
सदा संग संतों का पाओ।
प्रथम पाठ यह उर में लाओ।।
संग मनुज को पार लगाता।
संत संग अनुपम सुखदाता।
3
सुनो प्रेम से भक्ति-कथाऍं।
यह भवसागर पार लगाऍं।।
गुरु से बड़ा न खुद को जानो ।
मन-अभिमान न किंचित मानो।।
4
जो गुरु पद पंकज अनुरागी ।
भक्ति तीसरी के वह भागी।।
चौथी भक्ति कपट मत सीखो।
ब्रह्म ज्ञान गुण में रत दीखो ।।
5
एक मंत्र बस रटते रहना।
पंचम भक्ति राम नित कहना।।
छठी भक्ति वैराग्य कहाती।
शील और दम से यह आती।।
6
सज्जनता का धर्म निभाओ।
शुद्ध आचरण पथ अपनाओ।।
सियाराम मय जग को पाओ।
सप्तम सम का भाव जगाओ।।
7
प्रभु से अधिक भक्त कहलाते।
जहॉं भक्त हैं प्रभु मिल जाते।।
अष्टम मन की तुष्टि कहाती।
संतोषी यों वृत्ति बढ़ाती।।
8
दोष दूसरों के क्या गिनना।
शांत चित्तता केवल छिनना।।
सरल बनो छल रहित कहाना।
नवीं भक्ति यों जग में गाना।।
9
हर्ष विषाद एक-सा आए।
भले अवस्था कुछ हो जाए ।।
नवधा भक्ति सहज अपनाओ।
श्रेष्ठ मनुज इस तरह कहाओ।।
10
नवधा भक्ति ईश को पाती।
दर्शन प्रभु का यह करवाती।।
निराकार इससे प्रभु मिलते ।
भीतर सुप्त सुमन सब खिलते ।।
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शील = अच्छा स्वभाव
दम = इंद्रियों पर नियंत्रण
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451