राम नाम एक दीप आप भी जलाइए।
मनहरण घनाक्षरी
८,८,८,७
काल के कपाल पर, भारती के भाल पर,
खिल रहा है कमल,आप भी खिलाइए।
राम लला हैं मगन, सुवासित है चमन,
प्रीति-पुष्प-गंध संग,भक्ति गीत गाइए।
हर्षित हुए स्वजन, ले रहा हिलोर मन,
सरयू की धार बीच,आप भी नहाइए।
द्वार जगमगा रहे,दृश्य झिलमिला रहे;
राम नाम एक दीप, आप भी जलाइए।