राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
गीत –
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
रावण तो बन गये हजारों, राम एक भी नहीं बना।।
राम नाम कहने को केवल, उनके पथ पर नहीं चले।
कलियुग में भी रामराज्य का, हम सब सपना देख रहे।
पाप कर्म आकाश छू रहे पुण्य धर्म रह गया पड़ा।1
(रावण तो बन गये हजारों, राम एक भी नहीं बना।)
नारी की इज्जत जब देखो तार तार हो जाती है।
रोज़ खबर सुन लो सीता जबरन ले जाई जाती है।
उसे बचाने वीर जटायु बन कर कोई नहीं लड़ा।2
(रावण तो बन गये हजारों, राम एक भी नहीं बना।)
कलयुग में भी वनवासी है राम अयोध्या आएंगे।
शायद वो ही जनमानस के कष्टों को हर पाएंगे।
क्या होगा, कितने रावण है,अगर युद्ध इक बार ठना।3
(रावण तो बन गये हजारों, राम एक भी नहीं बना।)
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी