राम कथा ही गाऊंगा
मैं हूं सच्चा सनातनी, मैं भगवे पर मिट जाऊंगा
रोम रोम में राम बसा है, राम कथा ही गाऊंगा
चाहे काटो हाथ पैर या चाहे काट दो मेरा शीश,
चाहे वज्र चला दो मुझपे, करो देह छिन्नित भिन्नित
हर रुधिर कण मेरा फिर भी राम राम पुकारेगा
राम नाम में मगन मेरा मन, राम नाम गुण गाएगा
मुझे नही कुछ और चाह बस, मैं राम का राम मेरा
मुझको बस काम राम से, राम का काम ही काम मेरा
मुझको मिली विश्रांति राम से, और जगह में क्यों जाऊं
जब राम नाम सम्पूर्ण करे तो, औरों को मैं क्यों ध्याऊं
राम नाम ना थोपा जाता, ना ही किसी को गलत बताता
करे सभी अपनी-अपनी पूजा, रखे अपने काम से काम
मुझे राम निरंतर जपना, राम नाम लूँ मैं अविराम
जय श्री राम
©प्रताप सिंह ठाकुर “राणाजी”