रामावतार रामायणसार 🙏🙏
रामावतार रामायणसार
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राम लखन त्रेता के चारों भाई
कौशल्या कैकेयी सुमित्रा माई
राजा दशरथ अयोध्यावासी
मंथरा दासी थी सब पर भारी
माता से कुमाता कैकेयी बनाई
राम लखन सीता साथ सुहागिन
चौदह वर्ष बनबास दिला निज
संतान भरत सिंहासन बैठाई
परम स्वार्थ मोह जग दिखाई
प्यारा भरत जग में कोई भाई
झोपड़ी रह विरह अति भारी
चरण पादुका सिंहासन बैठा
रामराज चलाई नंगे पांव वन
कानन सागर पार किए रघुराई
हनुमंत रीक्ष बंदर सह बनवासी
जामवंत बाली सुग्रीव बलशाली
नील नल योद्धा दो भाई समुद्र
बांध राम सेना लंका पहुंचाई
भक्ति यारी दोस्ती जग निराली
मर्यादा पुरुषोतम दिल में भायी
रावण हुए युग के महा दुराचारी
धर्मकर्म पर काली बादल छाई
डरे देव खेल रहे छुपम छुपाई
मामा मारीच स्वर्ण मृगा बन
भ्रमित सीता राम संग जुदाई
लक्ष्मण रेखा पार करा रावण
नकली साधु हरण सीता माई
बचपन साथी दशरथ जटायु
रावण युद्ध निज पंख कटाई
हरण कथा सुना परम गति पाई
सबरी सब्र श्रद्धा भाव पुजारी
प्रभु प्रतीक्षा सारी उम्र गुजारी
कौशल्या सबरी भिलनी माई
चख चख बैर प्रभु भोग लगाई
हर्षित भये जगपालक सुरभूपा
लंका निशिचर निकट निवासा
वहीं सज्जन विभिषण वासा
हनुमंत सूरवीर अति बनबासी
नर बानर संगती अद्भुत भाई
देख साथ भ्रमित सीता माई
राम कृपा सम सब पर दिखाई
लंकायुद्ध भई रावण के साक्षी
चक्रवर्ती राजाराम सह वनसाथी
ग्यारह हजार बरस राज चलाई
सरयू समा अयोध्या धाम बसाई
तुलसीदास वर्णित रामचरित्र जो
रामावतार रामायणसार कहाई
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तारकेशवर प्रसाद तरूण