रामानंद सागर !
‘रामायण’ दर्शकों की सात करोड़ी भीड़ में से
एक दर्शक से दो प्रश्न किया-
मंथरा महान थी या कैकेयी ?
उसने कहा- ये नहीं, तो रामायण नहीं !
दूसरा प्रश्न किया- मंथरा कूटनी थी, तो कूटना कौन थे ?
‘नारद’ कहकर वह अपेक्षा से देखने लगा,
तब एक और प्रतिप्रश्न-
करोड़ों रुपये खर्च कर और मेहनत जाया कर
रामानंद सागर जी ‘नारद’ ही क्यों बने ?
यह सुन वह दर्शक
‘मूकदर्शक’ बन वहाँ खिसक गए !